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शनिवार, 6 मई 2023

Shiv ji ki Arti Jay Shiv Om Kara

शिव जी की आरती 

जय शिव ओंकारा  जय शिव ओंकारा 

shiv ji ki arti
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा   जय शिव...

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे 

हंसानन गरुड़ासन, वृषवाहन साजे   जय शिव...

दो भुज चार चतुर्भुज, दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता ,त्रिभुवन जन मोहे   जय शिव...

अक्षमाला बनमाला, रुण्डमाला धारी 

चंदन मृगमद सोहै, भाले शशिधारी   जय शिव...

श्वेताम्बर पीताम्बर, बाघम्बर अंगे 

सनकादिक गरुणादिक, भूतादिक संगे   जय शिव...

कर के मध्य कमंडलु, चक्र त्रिशूल धर्ता 

जगकर्ता जगभर्ता , जगसंहारकर्ता   जय शिव...

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, जानत अविवेका 

प्रणवाक्षर मध्ये, ये तीनों एका   जय शिव...

काशी में विश्वनाथ विराजत, नन्दी ब्रह्मचारी 

नित उठि भोग लगावत, महिमा अति भारी   जय शिव...

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे 

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे   जय शिव...

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