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बुधवार, 18 दिसंबर 2019

यदि दुर्योधन ने नारायणी सेना न मांगी होती तो दुर्योधन की जीत निश्चित थी Arjun And Duryodhan

Arjun And Duryodhan
लोग इस लिए हार जाते है क्योंकि आज भी वे नारायण को नहीं नारायणी सेना को मांग रहे है |
      इस को समझने के लिए महाभारत के इस प्रसंग पर चर्चा करना अति आवश्यक हैबात उस समय की है जब यह तय होगया था की कौरव और पांडव में घमासान युद्ध होगा | युद्ध की तैयारी के अनुसार #अर्जुन और #दुर्योधन दोनों भगवान श्री  कृष्ण से मदद मांगने गए | श्री कृष्ण को सोता देख दोनों #श्रीकृष्ण के उठने की प्रतीक्षा करने लगे , दोनों अपने - अपने आसन पर बेठ गए |

अर्जुन श्री कृष्ण के पेरो की और एवं दुर्योधन  श्री कृष्ण के सर की और बैठ  गए |
दुर्योधन श्रीकृष्ण के पास अर्जुन से पहले पहुंच गया था श्री कृष्ण जैसे ही उठते है तो सबसे पहले अर्जुन को देखते है और आने का कारण जानते है |
श्री कृष्ण : कहो पार्थ कैसे आना हुवा 
अर्जुन : मधुसुधन में आपके पास युद्ध में मदद मांगने आया हु 
दुर्योधन : कृष्ण मे भी युद्ध में मदद मांगने आया, पर अर्जुन से पहले इस लिए पहले आप मेरी मदद करे |
श्री कृष्ण :  मेने अर्जुन को पहले देखा पर दुर्योधन तुम पहले आये हो इसलिए में दोनों की मदद करुगा |
एक तरफ में हु और दूसरी तरफ मेरी पुरी नारायणी सेना , में निहत्ता ,  इस युद्ध में  कोई अस्त्र भी नहीं उठाऊंगा |
अर्जुन : हे मधुसुधन हे पालन हार  मुझे  तो केवल आपका  साथ चाहिए में सेना का क्या करुगा |
दुर्योधन : मुस्कुराते हुए  ठिक है कृष्ण  जब अर्जुन ने आपको मांग ही लिया तो में अपने अनुज का मन नहीं दुखाना चाहता, में नारायणी सेना ही लेजाता हु |
इस तरह अर्जुन और दुर्योधन वहा से चले जाते है |
परिणाम स्वरुप जीत उसीकी की तय थी जिसके साथ परमपिता परमेश्वर श्री कृष्ण थे
यदि दुर्योधन ने नारायणी सेना न मांगी होती तो दुर्योधन की जीत  निश्चित थी | पर कहते है घमंड ज्ञान का विनाश कर देता है |  आज मनुष्य यही गलती कर रहा है और वो ईश्वर से धन, दौलत ,पैसा मांगता है यदि इन सभी की जगह वह अपने परिवार की खुशिया मांग ले तो बड़े - बड़े बगले कभी भुत बगले में नहीं बदलेंगे अर्थात खजाना  नहीं खजराना श्री गणेश की आराधना करो
#ArjunAndDuryodhan
जय श्री  कृष्ण 








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