मंथरा
एक
ऐसी सोच है
जो बिना स्वार्थ
के भी सुखी
समृद्ध परिवार को बिखर
देती है , परिवार
को बचा सकते
हो तो #मंथरा जैसे विचारों
से बचा
लो | जिसने मंथरा को पहचान लिया उसका #परिवार सुखी, नहीं तो राम जी को तो आज भी १४ साल का #वनवास है |
#Manthara
आज भी मंथरा को पहचान ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है | मंथरा एक ऐसी विचारधारा है जिसमे न तो कोई स्वार्थ है, न कोई फायदा पर फिर भी एक अवलोकिक आनंद के भूचाल का नाम मंथरा है जो आज भी समाज में किसी न किसी रूप में व्याप्त है |
मंथरा हर व्यक्ति के जीवन का एक ऐसा किरदार है जो किसी न किसी रूप में हर व्यक्ति के जीवन में आता है | मंथरा का किरदार शनि देव की दृष्टि से भी ज्यादा खतरनाक है |
इस किरदार को तो भगवान श्री राम भी नहीं पहचान पाए थे, फिर हम तो सामान्य मनुष्य है |
आइये इस मंथरा नामक किरदार को समझे एवं कोशिश करे की अपने परिवार से इससे बचाए यदि मंथरा से प्रभु श्री राम बच गये होते तो श्री राम को वनवास नहीं होता ऐसा क्यों ...
मंथरा हर व्यक्ति के जीवन का एक ऐसा किरदार है जो किसी न किसी रूप में हर व्यक्ति के जीवन में आता है | मंथरा का किरदार शनि देव की दृष्टि से भी ज्यादा खतरनाक है |
इस किरदार को तो भगवान श्री राम भी नहीं पहचान पाए थे, फिर हम तो सामान्य मनुष्य है |
आइये इस मंथरा नामक किरदार को समझे एवं कोशिश करे की अपने परिवार से इससे बचाए यदि मंथरा से प्रभु श्री राम बच गये होते तो श्री राम को वनवास नहीं होता ऐसा क्यों ...
बात रामायण काल की है जब चारो और ख़ुशी का पल था प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक होने वाला था सबसे ज्यादा प्रसन्नता माँ कैकय को थी सारी तैयारी हो चुकी थी पर मंथरा को यह कहा पसंद था |
मंथरा रानी कैकय के पास आती है और कहती है
मंथरा : रानी कैकय किया करने जा रही हो, यदि राम का राज्याभिषेक हो गया तो तुम्हारे बेटे का क्या होगा , तुम्हारा बेटा तो सदैव राम का दास बन कर रहेगा |
कैकय : राम भी मेरा ही बेटा है
मंथरा : राज्याभिषेक के बाद राम, राम नहीं रहेगा, तेरे बेटे को दास बना देगा और अपनी माँ कौशल्या की तुझे दासी बना देगा |
कैकय : नहीं मेरा राम ऐसा नहीं है
मंथरा : रानी सत्ता का मद अच्छे - अच्छे की नियत पलट देता है
कैकय : नहीं- नहीं
मंथरा : रानी इतिहास में ऐसे कितने ही उदाहरण है...
कैकय : नहीं नहीं
मंथरा : अपने बेटे का सोच, उसे राम हमेशा दास बना कर रखेगा
कैकय: नहीं- नहीं
मंथरा : यही मौका है अपने दो वरदान मांगने का
अब होता यह है कि यह मंथरा रात दिन माँ कैकय के कान में उलटी सीधी बाते कहती रही | जब बार बार कोई कुछ कहेगा तो कभी तो कोई बात अंदर तक जाएगी और हुवा भी यही माँ कैकय ने राजा दशरथ से अपने दोनों वरदान मांग लिए , जिसमे एक था राम जी का १४ साल का वनवास |
यदि राज परिवार के किसी भी व्यक्ति को मंथरा की विचारधारा पता चल जाती तो शायद राम जी का वनवास नहीं होता |
कहने का तात्पर्य यह है की यदि हमारे अपने परिवार में मंथरा जैसी कोई भी सोच दस्तक दे रही है तो उसे नजर अंदाज न करे बल्कि उसे पहचान ने की कोशिश करे और समय रहते उसका सही समाधान करे | देखा जाए तो मंथरा जैसे किरदारों को कोई फायदा या नुकसान नहीं होता है , ये केवल एक अच्छे खुश परिवार में आग लगा देते है | अपने परिवार को प्यार करे, एक दूसरे पर विश्वास करे , एक दूसरे की भावनाओ का सम्मान करे एवं कोशिश करे की ये मंथरा जैसी विचारधारा वाले लोग अपने परिवार की खुशियों से दूर ही रहे तो अच्छा है
#Manthara
जय श्री राम
जय श्री राम
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