जश्न ए राहत :: मुशायरा एवं कवि सम्मेलन इंदौर -२०१९
Mushayra and Kavi Sameelan
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यह इंदौर का
मुशायरा नहीं, मौसम का बदला मिजाज था |
यह जश्न की राहत थी,
या राहत का जश्न था |
यह समझने का बड़ा असामंजस्य
था |
यहाँ राहत था
, विश्वास था, मिलने वाली कोमी एकता
का वास था |
मुशायरे की रात भी
बड़ी सयानी थी , अब तो दीवानो को सुनने की बारी थी |
जो अंदर आगये वो तो अच्छे थे, पर जो बाहर थे वो भी सच्चे थे |
यहाँ राम भी आये, रहीम भी आये, काबा और कैलाश भी आये |
श्याम भी आये, कलंदर
भी आये , सत्यनारायण भगवान भी छाये |
चाँद भी था , सूरज भी था, सितारों का मंजर भी था |
गाय भी थी, बकरी थी , जीवन की जीने चकरी भी थी |
सिकंदर भी थे, कलंदर भी थे, संत , काजी और मंत्री भी थे | |
हिंदी आयी उर्दू आयी दोनों ने अपनी मस्ती बनाई |
शमा भी जली,
मंदिर भी बने, श्लोको
के तीर भी
चले |
मजमा आखरी तक
जमा रहा , जावेद
को सुनने
का जलसा बना रहा
समय की
भी मर्यादा थी
, मुशायरा ख़त्म होने
की बरी थी |
एक एक करके
सब चले गए
यादो को वही
संजोगये |
अब तो केवल
यही प्राथना है सब
मस्त रहे, आबाद
रहे ,भाईचारा यू ही
बना रहे |
इंदौर फिर बुलाएगा
अपनो को फिर
मिलाएगा |
जय हिन्द , जय भारत
|
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