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शनिवार, 6 मई 2023

Arti Kunj Bihari ki

  

आरती कुंज बिहारी की,  
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।

गले में बैजंती माला, बजावे मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुंडल झलकाला

arti kunj bihari ki shri girdhar krashna bihari ki


नन्द के नन्दश्री आनंद कंदमोहन बृज चंद

राधिका रमण बिहारी की
श्री गिरीधर कृष्ण मुरारी की

आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमाली

भ्रमर सी अलककस्तूरी तिलकचंद्र सी झलक

ललित छवि श्यामा प्यारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

कनकमय मोर मुकुट बिलसे
देवता दर्शन को तरसे
गगन सों सुमन रसी बरसे

बजे मुरचंगमधुर मिरदंगग्वालिन संग

अतुल रति गोप कुमारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की

आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

जहां ते प्रकट भई गंगा
कलुष कलि हारिणि श्री गंगा
स्मरन ते होत मोह भंगा

बसी शिव शीषजटा के बीचहरै अघ कीच

चरन छवि श्री बनवारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की

आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू

चहुं दिशी गोपि ग्वाल धेनू

हंसत मृदु मंदचांदनी चंदकटत भव फंद

टेर सुन दीन भिखारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

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